शुक्रवार, 22 जुलाई 2011

भ्रष्टाचार

गोल गेंद जैसी दुनिया में ,
पैसो की है खूब चली|
कोई न सोचे इसके आगे, कौन राम और कौन अली|
जिसकी वजह से भ्रष्टाचार का जन्म हुआ गली- गली |

यह अफसर वोह अफसर हर कोई दीखता भ्रष्ट है ,
पैसे खाने से, अब हर कोई दीखता मस्त है |
बढती जा रही है भ्रष्टाचार की नली,
जिसकी वजह से भ्रष्टाचार का जन्म हुआ गली- गली|

खाओ लोगो खाओ यह सब अपना ही तो पैसा है ,
देश की हालत तो देखो ,हाय राम कैसा है|
दिन पर दिन देश की छवि हो रही काली,
जिसकी वजह से भ्रष्टाचार का जंह हुआ गली- गली|

राम देव और बालकृष्ण की जबसे है भगत मिली,
भ्रष्टाचार तो नहीं मिटा पर खुद की ही है पोल खुली|
इन दोनों की इस देश में दाल न गली,
और भ्रष्टाचार का जन्म हुआ गली गली|

पर भूलो मत गाँधी को, जिसने हमे आज़ादी दिलाई,
इस ज़माने में अब अन्ना हजारे की बरी आई|
जिसने उगाई लोकपाल नामक कलि,
जो हटाएगी भ्रष्टाचार हर गली-गली|

-हार्दिक पराशर

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