शुक्रवार, 22 जुलाई 2011

भ्रष्टाचार

गोल गेंद जैसी दुनिया में ,
पैसो की है खूब चली|
कोई न सोचे इसके आगे, कौन राम और कौन अली|
जिसकी वजह से भ्रष्टाचार का जन्म हुआ गली- गली |

यह अफसर वोह अफसर हर कोई दीखता भ्रष्ट है ,
पैसे खाने से, अब हर कोई दीखता मस्त है |
बढती जा रही है भ्रष्टाचार की नली,
जिसकी वजह से भ्रष्टाचार का जन्म हुआ गली- गली|

खाओ लोगो खाओ यह सब अपना ही तो पैसा है ,
देश की हालत तो देखो ,हाय राम कैसा है|
दिन पर दिन देश की छवि हो रही काली,
जिसकी वजह से भ्रष्टाचार का जंह हुआ गली- गली|

राम देव और बालकृष्ण की जबसे है भगत मिली,
भ्रष्टाचार तो नहीं मिटा पर खुद की ही है पोल खुली|
इन दोनों की इस देश में दाल न गली,
और भ्रष्टाचार का जन्म हुआ गली गली|

पर भूलो मत गाँधी को, जिसने हमे आज़ादी दिलाई,
इस ज़माने में अब अन्ना हजारे की बरी आई|
जिसने उगाई लोकपाल नामक कलि,
जो हटाएगी भ्रष्टाचार हर गली-गली|

-हार्दिक पराशर

गुरुवार, 21 जुलाई 2011

हे सरस्वती!

हे सरस्वती तूने कैसी बनी ये पढाई,
जो न शिक्षक और न छात्र की समझ में आई |
जब जब शिक्षक ने वाक्य बोला, आँखों के सामने घूमे शब्दों का हिंडोला,
देखे हम ऐसे जैसे तुक्तुकी सी लगायी,
पर यह ने शिक्षक और न छात्र की समझ में ई|

गंणित ने तो हम पर बोहोत है ज़ुल्म ढ़ाए,
उसका 'x' ढूँढने में सारा समय निकल जाये|
बच्चो की तो जैसे श्यामत आई,
पर यह न शिक्षक और न छात्र की समझ में आई|

इतिहास ने तो कर दिया वर्त्तमान ख़राब,
पानीपत की लड़ाई ने ही उड़ा दिए सारे ख्वाब ,
बच्चो में हुई विश्व युद्ध की लड़ाई,
पर यह न शिक्षक और न छात्र की समझ में आई |

अब आई विज्ञानं की बारी,
जिसपे चलती है दुनिया सारी|
वैज्ञानिको की दस पंद्रह मिनट के मज़े ने हमारी ४ साल की मस्ती उड़ाई।
पर यह न शिक्षक और न छात्र की समझ में आई ।

जो भी हो, यही दुनिया में क्रांति लायी,
एडिसन के रूप में जिसने बत्ती जलाई|
हे सरस्वती तूने सही बनाई ये पढाई,
जिसने पूरी दुनिया की नय्या पर कराइ|
- हार्दिक पराशर